आवारा - चांद
आवारा-चांद |
इकलौता है- पर फिर भी आवारा है-
ना जाने यह -
चांद इतना क्यों तड़पाता है ?
लाखों तारों के बीच इकलौता अपना सहारा है -
पर यह पागल चांद न जाने इतना क्यों आवारा है -
सारी-सारी रात जगा रहे -
न जाने इसके दिल बीच की रहन्दा है -
चैन से टिकता नहीं इक जगह -
बाड़ी-बाड़ी जगह बदल - दा रहन्दा है -
पूछया कितने सवाल पर -
जवाब इक भी नहीं देन्दा है-
बस यूं - ही घटते-बढ़ते - अजीब हरकतें करता है,
अपनी चांदनी से सबको -
तड़सता रहन्दा है -
एकलौता चमन है - आशिकी है करोड़ों दिल की,
पर फिर भी ना जाने -
यह इतना क्यों आवारा है?
3. हमें खुशियां मिलती क्यों नहीं है ?👈🤔
my new website please visit:
Comments
Post a Comment