यश💐🌺

 यश 💐🌺

दुष्ट हमेशा दर्द देंगे - 

 महल खुद के पास और सत्य को वनवास देंगे, 

 राज्य उनका होगा - राज उनका होगा,

 नौकर सत्य को बनाकर रखेंगे - 

पर सच कहता हूं वह - अपयश के सिवा कुछ और- 

 प्राप्त ना कर पाएंगे :- 

लंका रावण की - हस्तिनापुर दुर्योधन की,

 मगध धनानंद की-  जर्मनी हिटलर की,

भारत ब्रिटिशर्स की - हुआ करती थी कभी, 

 पर बोलो - इन बड़बोलो से - 

कितने दिन की चांदनी रही इनके आंगन में,

 करके सब सिद्धियां प्राप्त -‌

बनकर महाजनपद के राजाधिराज,

 किस नाम से जाने जाते हैं - आज !

 वही राम एक वनवासी थे - उनका नाम सुनकर  - 

कैसी छवि पनपी - तुम में !‌

यह सत्य है- दर्द मिलेगा- 

पर यश सदैव सत्य का होगा ! .... 

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श्री - राम। 
       
                  

                            ओवर-थिंकिंग🤔



कल घटी एक घटना - उसको लेकर मैं आज बैठा था - 

जी तो वर्तमान में रहा था - पर मन मेरा भूतकाल में भटका था,

 कल घटी एक घटना उसको लेकर - मैं आज तक बैठा था,

 जितनी घटी नहीं - उससे ज्यादा मैं खुद को घटा बैठा था,

 ऐसा न किया होता - तो वैसा ना होता, 

वैसा ना किया होता - तो ऐसा ना होता,

 काश मैं कल - वहां ना होता।

 यह सोचते-सोचते मैं कल से आज तक परेशान हुए बैठा था,

 वक्त तो सुबह से दोपहर - दोपहर से शाम- बस डाले जा रहा था,

 मेरा दर्द प्रति सेकेंड दर पर दर बढ़े जा रहा था,

 कल घटी एक घटना - आज तक साथ लिए बैठा था,

 शराबी नहीं पर - शराब हाथ में लिए बैठा था।

 काफी वक्त खराब हुआ - हालात बद से बदतर हुई,

 घटा जो नहीं वह भी मेरे अंदर घटित हुई -‌ 

दर्द तो तब‌ हुइ-

जब मेरा आज -कल की भेंट चढ गया,

 जब समझ में आया - तब-तक वक्त था ढल गया - 

 कल घटी एक घटना - मेरे कारण आज मुझे घटाती रहीं दिनभर,

तब समझ में आया - 

जितना घटित नहीं हुआ -

 उससे ज्यादा सोच कर - मैंने खुद का घटित किया है - 

 हम इंसान ही एकमात्र ऐसे जीव है - 

जो डर को बनाते और बढ़ाते हैं- 

 जो घटी नहीं उसको भी घटाते हैं -‌

 इसकी-उसकी- औरों किं- 

 यह-वह-इतना-उतना,

 ऐसा-वैसा, सोच-सोच कर खुद को परेशान करते हैं,

 जो घटित नहीं होता - उससे भी डरते रहते हैं।

 कल रात घटी एक घटना - आज तक लिए मैं बैठा था,

 बड़ी भूल हुई मुझसे जो कल को - आज समझ बैठा था,

 जब तक समझ में आई -

 शाम ढल चुका था - सो जाने की आहठ दरवाजे पर खड़ी थी,

 वह कल की घटी घटना - पर आज भी घट रहा है।

आज भी इंसान और इंसानियत इस बिमारी -से  घट रहा है ! ....


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