कुछ मुस्कानों से सौदा हुआ -

 कुछ 😊मुस्कानों  से सौदा हुआ -

कुछ मुस्कानों  से सौदा हुआ -

कुछ ऐसा हुआ जब में पैदा हुआ.

रोना पड़ा था मुझे - जीने के लिए

गम सस्ते में मिल गया थे मुझे-

जो हर रोज आसानी से मेरी - झोली में समा जाती है -

 मुस्कान आज भी बड़े महँगे है-

 वो आते है जैसे बेटियाँ की शादी में बरात,

 कुछ पल रौनक देकर- वो गम - ऐसे दे  जाती है -

 जैसे बिटियाँ का कन्यादान - हुआ आँगन,

 कुछ मुस्कानों से सौदा हुआ -

तु-तु,  मैं-मैं  पर फिर भी वो मेरा ना हुआ, 

जीने के लिए रोना जरूरी है- 

ये जरूरत सारी उम्र कम ना पड़ी मुझे, 

मुस्कानों का सौदा - सदा महँगा रहा मेरे लिए,

 एक सदियाँ बिताई है- मैंने यहाँ - 

इन सदियों में वो मेरे पास उतना ही आई, 

जितना एक साल में त्योहार- 

कुछ मुस्कानों का सौदा हुआ-

 मेरे होठों का पता ढूंढने में शायद इन्हें -

  कोई लैंडमार्कना नहीं मिला-

कुछ मुस्कानों का सौदा हुआ-

ये सौदा सारी उम्र चला -

पर फिर भी वो कभी इतना सस्ता ना हुआ -

जितना गम - कुछ मुस्कानों का सौदा हुआ- 

और ये सौदा सारी उम्र चला ! 

१. प्यार के सांय 👈❤️🥰

जिंदगी और मैं


अजीब दौर से चलती रही- जिंदगी मेरी -

 कई नियम बनाय - कई तोड़े ,

कई जोड़ने - तोड़ते बाकि है- 

अभी शुष्क पतझड़ देखा है - 

 अभी सावन का आना बाकि है -

 अभी छोटी-सी है -उम्र मेरी

अभी यौवन का उन्माद है, 

पर इतनी उम्र में ही - 

मैं काफी परेशान हूं- 

 छोटी-छोटी समस्याओं से कभी ऊब जाता है - मन मेरा,

 कभी-कभी बिना समस्याओं के रास नही आता है-

कितना अजीब है- जीवन मेरा - 

यह मैं खुद समझ नहीं पाता हूँ - 

समझने बैठता हूँ- तो उलझ के रह जाता हूं

 छोड़ देता हूँ समझना उसे - तो वो  मधुपर्क करवा देता है-

अजीब है सफर - उतना ही अजीब मैं पथिक हूँ -

खुदको जानता नहीं - जीवन को जानने पर अडीग हूँ।

मैं बस इतना जानता हूं कि मैं एक पागल प्रेमी हूं,

और ये मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी खोज है।

सफर बड़ा अजीब है - और मैं पागल प्रेमी- 

इतना तो पक्का है- 

अंतिम दांव तक हार नहीं मानेंगे हम दोनों

एक-दूजे से।

चाहे कितना ही-हो अजीब सफर

 मैं तो प्रेमी हूं- प्रेम करता रहूंगा - अपने सफर से ! ...



#DosT School wale


जिंदगी के पर सफर में मिला मैं:-

कई अपनों और गैरों से,

 जो लहजा उनमें था 

जो मजा उनके साथ था

फिर-ना मिला - बिछड़ने के बाद उनसे,

 जिंदगी के  सफर मे - 

काफी चल  चुका हूँ मैं - 

पर जो चलने में मजा उनके साथ आता था-

 वो बेफिक्री अंदाज - एक-दूसरे की कान खिचने का एहसास,

 बात-बात में डबल मीनिंग और भाई वो देख - यार;

              का एहसास,

 सोम- मंगल बुध- बीफे- शुक्र-शनि और इतवार - 

भी बीता के देख ली- 

 नहीं मिलता - अब कभी वो एहसास  वाला कोई वार- 

ना जाने कहां खो गए-वो दिन, वो यार - 

जिनके कंधों पर बस्ते थे -‌ 

और होंठों पर मुस्कान ! ...


२.हिंदी कहानी:- बदनाम 🤔

 


 



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