शहिद- दिवस

                  शहिद- दिवस



🤔प्रश्न:- हिंदी कहानी 👈❤️

जन्मे उस कोख से जिनका ये कहना था, 

बेटा  तु आजादी की दुल्हन लेने-जा, 

 मैं सारे गाँव में लड्डु बटवाऊँगी- 

माता का नाम विधावती और पुत्र का भगत सिंह था,

23 मार्च 1931 को तेइस साल की उम्र में- 

जो  हँसते-हँसते फाँसी चढ़ गया था- 

गाथा है ये उस वीर की जिसकी दुल्हन जादी और 

घोड़ी मौत थी-था ऐसा जिंगड़ा

जिससे यमराज भी-थर्राया था-

इतिहास में पहली दफा डर कर -

फँसी का वक्त बदला था- 

डर इतना था - कि अंग्रेजों ने सायंकाल यह कुकर्म किया- 

सुना है शहिद-ए-आजम भगत सिंह-वीर - बड़ा था !

बचपन से ही लक्षित वो वीर- बड़ा निडर था- 

उम्र छोटी थी - मगर आक्रोश बड़ा था-‌ 

कहता था 'मैं बंदुके उगाऊँगा और अंग्रेजों को देश से भगाऊंगा",

था ऐसा नाम भगत - जो तम में चिंगारी था- 

जिसको सुनकर- सून पर जाते थे-सब;

बहरों को सुनाने के लिए- ऐसंबली हॉल में जिसने बम फेंका था,

आजादी के नीचे वह कुछ और शर्त रखता नहीं था-‌

 मरना मंजूर था -  मगर जी हुजूरी नहीं जानता था,

सांडर्स की हत्या में यह बदनाम हुआ था-‌

सुना है जेल में भी शेर गर्जाया था,

लिखता है," राख की गर्मी से-मेरे शरीर का हर कण गतिमान है- मैं 

ऐसा पागल हूं जो जेल में भी आजाद है"

सुना है ब्रह्मांड ऐसे वीर फिर कभी ना जन्मा सकेंगी-‌

 सुना है शहीद-ए-आजम, भगत सिंह यमराज को भी थर्राया था !

1-हिंदी कहानी:- आपको सोचने पर मजबूर कर देगी👈❤️

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                         🌺 शहीद-ए-आजम 🌺

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आजादी हमें भीख में नहीं मिली यारों- 

इसकी तमन्ना में- कई, धर-सिर से अलग हुए- 

यह एक-दो साल की बात नहीं- सदियों की गाथा है- 

कई कोख रो-पड़ी- कई मांगे उजाड़ी गई- 

कई छोपड़िया तबाह हुईं-कई चूल्हे बिन जले - 

पेटों की आग जलाई-  आजादी हमें भींख में नहीं मिली- यारों !

असंख्यक वीर- मरे तब जाके- यह स्वर्ण घड़ियां हमकों मुकम्मल हुई !....

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    🙏 🙏भारत के वीर शहिदों- को सत-सत नमन 🙏🙏

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तुमने वही सीखा जो सिखाया गया तुम्हें। तुमने उन्हें-ही जाना-जो मिलवा गय तुम्हें। इसलिए वैसे ही- जीए, जैसे बताया गया तुम्हें। कभी सवाल किया; किन-से मिलवाया गया? क्यों मिलवाया गया? फिर दिक्कत क्यों है, तुम्हें ऐसे जीने में ? कभी सवाल ये पूछा नहीं तो -यह हक आपको दिया किसने कि- ऐसे जीने पर सवाल करें🤔। Continue reading 👈❤️











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