स्त्री
स्त्री
घर की परेशानियों का-भान सदा रखती है-
वह स्त्री ही होती है-जो मर्द को मर्द बनाती हैं,
आटे को रोटी-रोटी को भूख, भूख को मीठा,
एक औरत ही बनाती है,
इस पुरुष प्रधान समाज को नारी ही चलाती है-
कभी खोल लेती है वह अपने बाल+अपनी खुशियों की तरह-
औरों के लिए- ताकि खेल सके पुरुषार्थ उसमें अपने गम भूलाए,
और फिर बांध लेती है-वह बाल अपने-
और छुपा लेती है-सारे दर्द वह अपने चोटी में,
वो एक स्त्री ही होती है-जो इतनी कोमल होती है,
संसार को रहने योग्य स्त्री ही बनाती है,
विद्या उससे -शक्ती उससे-रोटी उससे- कल्पना उससे ही मिलती है,
उससे ही मिलती एक प्रेरणा है- स्त्री ही है-
जो पुरुषों का गहना है-
कभी वह अपार सुख वाली रोटी मां है,
तो कभी वह नटखट बातों वाली बहना है,
एक स्त्री ही है- जो पुरुषों का सच्चा गहना है,
एक स्त्री ही है जो इतनी साधारण हो सकती है-
अपनों के लिए- वह नर्क को भी स्वर्ग कह सकती है-
वो एक स्त्री ही है- जो इतना सरल- व्यापक और समर्थ हो सकती है।
________________()____________()_______________()___
________________()____________()_______________()___
*हिंदी कहानी 👈❤️
स्त्री शक्ति
कहते हैं:-
कि जिन सरोंने कटना सिखा हो-
झुकना नहीं स्वीकार सकते हैं-
ऐसे ही वीर दो नारियों की कथा मैं आज गाऊंगा-
अपने भूमि को उनके रक्त से नहलाऊंगा-
और स्वर्ग से भी ऊंचा दर्जा-
उन्हें दिलाउंगा क्योंकि आज बात मैं सिर्फ नारी नही-
नारी स्वरूप दो आदि शक्ति का करूंगा!
मुझे माफ़🙇 करना 🪶कलम फीकी पड़ जाए तो,
क्योंकि उनके लहू को मैं स्याही से कभी नहीं तोल सकता,
मगर अपने देश की शक्ति को भी नहीं भूल सकता !
गोरों की हुंकार थी- लोगों में मची तबाही का भय था,
हिंदुओं का सूर्य पश्चिम से उदय हो रहा था,
उनकी एक-एक शब्द हुकूमत थी,
उस वक्त जन्मी थी वो- मां से सुना है बड़ी मर्दानी थी वो,
क्षत्रियों के परिवार से थी तो अपना धर्म जानती थी,
मरना तो कबूल था- मगर झुकना नहीं सीखा था उन्होंने,
कहते हैं जब अंग्रेजों ने हुंकार भरी थी-
उस वक्त राजा कहीं बाहर गए थे-
तब उनकी बहनों ने यह जिम्मेदारी संभाली,
चूल्हा-चौका संभालने वाले हाथों ने तलवार उठा ली,
कहीं यह गलती आप-भी तो नहीं कर रहे, बस और यात्री👈❤️🤔
और डरी-भयभीत जनता के सामने- शेर जैसे प्रतीत होते अंग्रेजों के,
सिर्फ अकेले दो बहनों ने- मोर्चा खोल दिया,
गोरों के हाथों में कई तलवारें थी- मगर यह सिर्फ दो,
अंग्रेजों ने नारी समझ खिल्ली उड़ाई- तो घर संभालने वाली-
जाति की क्षत्रणियों ने अंग्रेजों की घर की नींव हिला दी,
अपने भूमि की रक्षा के लिए-अपने सांसों को दांव पर लगा दी,
सुना है कि उन क्षत्रियों के शौर्य को देख-
स्वयं यमराज भी थर्रा गए थे- उन 2 देवियों को लड़ते देख-
स्वयं महा काली भी शर्मा गई थी-
कहते हैं उन दोनों ने अकेले अंग्रेजों के मोर्चा खोल दिय,
उनकी भीड़ से ये नीड़ अकेले ही भिड़ गए,
दुर्भाग्यवश इन पापियों ने उनकी छाती को काट दिया,
मगर वो शेरनियां उसके बाद भी नहीं रूकी,
लहू से घोड़े पवित्र हो गए- जो भूमि पर गिरी तो-
भूमि कि शौर्य और बढ़ गई,
उनकी वह साहस और शौर्य को देखकर -
अंग्रेज हुकूमत के सिंहासन हिल गई-
उन देवियों के उस युद्ध को देखकर-
स्वयं गोरे डर के भाग खड़े हुए- तब जाकर उन्होंने भूमि चूमी,
इस प्रकार वह सदा-सदा के लिए अमर हो गई।
बात है यह मेरे गांव दीघवारा कि राजवंश की आदिशक्ति का,
भारतवर्ष के गौरव का-कभी आंच ना आने देने वाली रीति का,
बात है यह भारत की दो बेटियों का!....
जय भारत- जय भारती!
कभी ना दाग पाने वाली शक्ति की;
जय मां भारती !.......
2. बस और यात्री, कहीं आप भी तो यह गलती नहीं कर रहे🤔👈❣️
Comments
Post a Comment