राधा_कृष्णा

              राधा_कृष्णा

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कब से आश लगाए- बैठी है ये-नैना,

कब-से सूनी पड़ी है-यह बांसूरी मैंने-

अब-तो लौट आओ ना श्याम की राधे-मैंना,

कब-से आश लगाए-बैठी है यह मेरी नैना,

कब तक रूलाओगी-ओ !

 मेरी मैना ;

अब तो लौट आओ राधे-राधे तेरा श्याम पुकारे! . . .

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                                श्याम 

श्याम तुझे ढूंढे मेरी नैना-

अब तो लौट आओ- 

परेशान करे मुझे-मेरी सखियांया तेरा नाम- ले -ले,

तड़पाए मुझे सारी-सारी रतिया,

अब तो लौट आओ- श्याम रे-मेरे,

अबकी होली में रंग दो मुझे रंग गुलाल-रे।

अब तो लौट आओ-मेरे श्याम-रे;

मेरे गोरे रंग पर अपना रंग लगाओ-रे;

श्याम तुझे ढूंढे-ढूंढे थकि मेरी नैना-

अब तो सामने आओ नंदलाला-कन्हैया,

तुझे कब से ढूंढे मेरी नैना-

श्याम तुझे खोजें-खोजें, थक गई रोते-रोते

मेरी नैना-

अब तो अब बांसुरी बजाओ- मुझको नचाओ

मेरे श्याम रे!...

हिंदी कहानी ❤️❤️



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