राधा_कृष्णा
राधा_कृष्णा
कब से आश लगाए- बैठी है ये-नैना,
कब-से सूनी पड़ी है-यह बांसूरी मैंने-
अब-तो लौट आओ ना श्याम की राधे-मैंना,
कब-से आश लगाए-बैठी है यह मेरी नैना,
कब तक रूलाओगी-ओ !
मेरी मैना ;
अब तो लौट आओ राधे-राधे तेरा श्याम पुकारे! . . .
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श्याम
श्याम तुझे ढूंढे मेरी नैना-
अब तो लौट आओ-
परेशान करे मुझे-मेरी सखियांया तेरा नाम- ले -ले,
तड़पाए मुझे सारी-सारी रतिया,
अब तो लौट आओ- श्याम रे-मेरे,
अबकी होली में रंग दो मुझे रंग गुलाल-रे।
अब तो लौट आओ-मेरे श्याम-रे;
मेरे गोरे रंग पर अपना रंग लगाओ-रे;
श्याम तुझे ढूंढे-ढूंढे थकि मेरी नैना-
अब तो सामने आओ नंदलाला-कन्हैया,
तुझे कब से ढूंढे मेरी नैना-
श्याम तुझे खोजें-खोजें, थक गई रोते-रोते
मेरी नैना-
अब तो अब बांसुरी बजाओ- मुझको नचाओ
मेरे श्याम रे!...
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