कितना मजबूत है:- मतलब देखो

 

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मतलब 

कितना मजबूत है 'मतलब' देखो,
एकदम प्यार बरस पड़ता है,
जिनको देखने तक की फुर्सत ना होती थी-
उन्हें तकते-तकते दिन से रात हो जाता है,
कितना गहरा रिश्ता है:- ' मतलब' का,
गधा भी बाप-बन जाता है,
अपना बाप उसके आगे कुछ समझ नहीं आता है,
कितना प्यारा है 'मतलब' देखो,
जिसका नंबर होते हुए भी, कभी कॉल नहीं करते थे,
आज फोन बार-बार करके 'अपनेपन' का दावा करते हैं,
कितना मजबूत है:- 'मतलब' देखो,
अनजाने भी 'जान' छिड़कते हैं,
जो गालियों से बात करते थे कभी,
वह भी 'जी हुजूर' करने लगते हैं,
जिनको देखकर रास्ता बदल लेते थे ,
आज उसी का रास्ते पर खड़े होकर इंतजार करते हैं घंटों से तक,
कितना प्यारा है 'मतलब' देखो,
इज्जत दिलाता है:- 'गैरों' से भी कितना प्यारा है 'मतलब' भी-ना,
सम्मान पाता है:-दुश्मनों से भी,
गले मिलवाता है:- 'जानी दुश्मनों' से भी,
कितना प्यारा है:- 'मतलब' भी,
लोगों ने तो:-
खामा-खा बदनाम कर रखा है:- 'मतलब' को ! 
.... 💯💯🖤🖤💯💯


#हिंदी_कविता, #उर्दू_कविता

वो शांत कितना:- अशांत होगा

न सूरज होगा-ना चांद होगा,
 यह आसमां भी कहीं लापता होगा,
 अंत में सब शांत होगा,
 पक्षियों का चहचहाना,
 पेड़ों के हिलते पत्तों का सन-सनाना,
 बारिश की बूंदों का वह गुनगुनाना,
 आखिर में सब शांत होगा,
 समुद्र के ज्वार-भाटे,
 नदियों के थिड़कने की अनुगूंजे,
 सब शांत होगा!
 प्रारंभ से अंत तक का हर गाथा मौन होगा,
 बच्चों की किलकारियां- वह गालियां-
 और यह सारी बातें,
 समय के अंत में शांत होगी,
 अंत में सब शांत होगा।
 सोचो वह शांत- कितना अशांत होगा
!.... 

❣️❣️❣️

मैं इंसानों की बस्ती में:- रहता हूं!...

मैं दो कानो वाले-बहड़ो की दुनिया में रहता हूं ,
आंखें हैं फिर भी देख कर अनदेखा,
करने वाले अंधों की दुनिया में रहता हूं,
मैं-मैं जुबान से सिर्फ बेजुबान,
करने वाले शब्द निकालने वाली दुनिया में रहता हूं,
सच कहूं मैं इंसानों की दुनिया में रहता हूं,
मैं भी उन्हीं में से एक हूं,
मैं इंसान-इंसानों की बस्ती में रहता हूं,
सच छुपा के झूठ फैलाने वाली मीडिया में रहता हूं,
गर्व से खुद को सबसे महान प्रजाति है कहने वाले:-
बिच्छू  कि दुनिया में रहता हूं,
मैं सच्चाई से डरने वाले:-
सच्चों की दुनिया में रहता हूं,
नारी को गाली दे,
खुद को मर्यादा पुरुषोत्तम के पुजारी कहने वाले,
युग में जन्मा हूं,
मैं इंसान हूं,
मैं इंसानी बस्ती सर्वगुण संपन्न इलाके में रहता हूं ।
मैं आज का इंसान हू!
मगर हां इंसान हूं!...




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