जब हम बच्चे थे.....…
जब हम बच्चे थे.....
जब उम्र छोटी-थी,
दूध के दांत-थे,
हम जब बच्चे-थे,
जीना उसे कहते-थे,
जिंदगी क्या होती है?
हम क्या है?
मेरे अपने कौन है?
और
गैर कौन?
प्यार क्या होता है?
दोस्त क्या होता है?
दुश्मनी क्या होती है?
दोस्ती क्या होती है?
कुछ पता नहीं था,
मगर !
सब अच्छा था !
नादानियां करने पर नादान थे,
शैतानियां करने पर शैतान थे,
जब हम बच्चे थे,
जीना उसे कहते थे,
कौन रोया-कौन हंसा?
इससे फर्क कम,
और हम अपने में रहते थे,
जब हम बच्चे थे,
जीना उसे कहते थे,
अब तो बस काट रहे हैं।
ये अपना-वो पराया,
इसने धोखा दिया -उसने समझाया;
अब गलतियां शर्म कहलाती है,
अब तो सिर्फ जिंदगी कटती है,
जब हम बच्चे थे,
जिंदगी उसे ही कहते हैं!...
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