जब हम बच्चे थे.....…

जब हम बच्चे थे.....

जब उम्र छोटी-थी,

दूध के दांत-थे,

हम जब बच्चे-थे,

जीना उसे कहते-थे,

जिंदगी क्या होती है?

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हम क्या है?

मेरे अपने कौन है?

और

 गैर कौन?

प्यार क्या होता है?

दोस्त क्या होता है?

दुश्मनी क्या होती है?

दोस्ती क्या होती है?

 कुछ पता नहीं था,

मगर !

सब अच्छा था !

नादानियां करने पर नादान थे,

शैतानियां करने पर शैतान थे,

जब हम बच्चे थे,

जीना उसे कहते थे,

 कौन रोया-कौन हंसा? 

इससे फर्क कम,

और हम अपने में रहते थे,

जब हम बच्चे थे,

जीना उसे कहते थे,

अब तो बस काट रहे हैं।

ये अपना-वो पराया,

इसने धोखा दिया -उसने समझाया;

अब गलतियां शर्म कहलाती है,

अब तो सिर्फ जिंदगी कटती है,

जब हम बच्चे थे, 

जिंदगी उसे ही कहते हैं!...

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☹️😓दुख पाता हूं अंत में !...

औरों को खुश रखने की कोशिश में,
दुख पाता हूं-अंत में,
सबकी सुनते-सुनते,
पछताता हूं-अंत में,
इसकी-उसकी सबकी सुन के,
दर्द पाता हूं अंत में,
औरों को खुश रखने की कोशिश में,
खुद को पाता हूं,
 रोता हुआ अंत में!...

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प्यार के छाय ❣️❣️❣️❣️☹️👈



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