सब्र

वीर

इन दर्द भरे हालातों में, 

खौफ भरे महौलों में,

ही तो जन्मते हैं-।

जन्मजात वीर !

ठोकरें खाके-हालातों से टक्करा के,

दमन के चिंगारियों  से दबकर ही तो पनपते हैं-

अमर ज्वाला के दीप,

भय उन्हें निर्भय बनाता है,

 टूटना उन्हें अखंड बनाता है;

प्रेवर में निखर कर ही तो प्लेयर महान बनता है,

मगर जो बिखर जाए, वह आम बनकर ही रहता है।

दर्द भरे हालातों में-खौफ भरे महौलों में- 

पलते हैं- विप्लव के बादल,

जो जब बरसते हैं-

तब बरसते हैं-बहुत नीर,

असंख्य-नग्णय-सृष्टि के पालनहार;

नीर !

दर्द भरे हालातों में,

खौफ भरे महौलो में- 

ही पलते हैं -

निडर-अर्तकय-वीर !


सब्र 

सब्र की बाण रखो,

 हौसलों में जान रखो,

 यह मत सोचो,🤔

 :👉क्या होगा ?


 वही होगा जो तेरा हौसला चाहेगा,

 बस उसको थोड़ा सब्र चाहिए,

 तब देख तेरा हौसला क्या रंग लायेगा,

 

महफ़िल भी तेरी होगी:-

 नाम भी तेरा होगा,

 सब्र रख यह पूरी दुनिया तेरी होगी,

 थोड़ी-सी हार-थोड़ी-सी जीत,

 और कुछ नहीं है,

इस जिंदगी की रीत,


 बस इसमें रंग भर सकता है,

 तो वह है :👉

सब्र-सब्र और सिर्फ सब्र ,

+

मेहनत, जूनून और निरंतरता,


फिर देख तेरा,

क्या भविष्य होगा !....


मौन

मौन; बिल्कुल मौन रहते हैं,
तबाही से पहले जैसी और
बर्बादी के बाद जैसी ही,
मौन बिल्कुल मौन रहता हूं,
जो तुम समझ सको वही मोन हूं मैं,
तबाही से पहले वाली भी और-
बर्बादी के बाद वाली भी,
 बस फर्क सिर्फ आपकी सोच का है,
 वर्ना तो मैं मान ही हूं!.....


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