क्यों घुट-घुट के जीयें...2022 ka Mera pahela blog



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क्यों घुट-घुट के जिये,

क्यों छुप-छुप के रोए,

जो मिला नहीं उसके लिए क्यों रोए,

जो मिला है उस पर संकोच क्यों करूं,

औरों को देखकर, क्यों जलूं !

और देख रहे हैं तो, शर्म मैं क्यों करूं;

अपनी जिंदगी जीने की इजाजत किसी और से क्यों मांगू,

खैरात में जिंदगी नहीं मिली,

तो खैरात मांग-मांग कर क्यों जीयूं, 

इतना डर-डर‌ कर ,संभल-संभलकर सिर्फ मैं ही क्यों लाज रखूं,

क्यों घुट-घुट के जिए, क्यों छूप-छूप के रोए,

जिंदगी अपनी है तो किसी और को क्यों हक दूं,

तो क्यों घुट-घुट के जीए, तो क्यों छूप-छूप के रोए,

जिंदगी अपनी है तो किसी और को क्यों हक दुं !

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Love_suv_for_all

31,12,2021

अंतिम तिथि बित चुके दिनों का- टूटे ख्वाबों का -बेचैनी से भरे लम्हों का-तो दर्द में भी मुस्कुराने वाले पलों का,

यह साल नाम रहा सहने वालों के!


.................... 👏👏👏

आज अंत होगा और आगाज भी! ✌️✌️✌️

नए सवेरे का उमंग भी होगा, बीते सालों का अनुभव भी होगा!

आज रात 12:00 बजे पूरे साल सिर्फ एक पल में बदल जाएगा।
 साल बदल जाएगा-दौर बदल जाएगा।

मगर इंसान हर साल की तरह,
उत्साहित होकर शांत पड़ जाएगा!...
 हमेशा की तरह!....
 
मगर एक बात सच है कि-स्थाई कितना भी लगो,
दुखदाई कितना भी हो-
बदल जाएगा-बदल जाएगा।
 

तू बस चलता रह  सब कुछ बदल जाएगा! . . .👣👣👣


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हर साल गुजरता गया जिंदगी की तरह,
हम बिछड़ते गय पेड़ों से पत्तों की तरह ,
बिछड़े तो, बिछड़े ही रह गए,
हवा के झोंकों के सहारे कभी इस राह,
तो कभी उस राह पर गिर गए,
मगर कभी उस पेड़ पर वापस न लौटें;
जिससे अलग हो गए।. . .



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