क्यों घुट-घुट के जिये,
क्यों छुप-छुप के रोए,
जो मिला नहीं उसके लिए क्यों रोए,
जो मिला है उस पर संकोच क्यों करूं,
औरों को देखकर, क्यों जलूं !
और देख रहे हैं तो, शर्म मैं क्यों करूं;
अपनी जिंदगी जीने की इजाजत किसी और से क्यों मांगू,
खैरात में जिंदगी नहीं मिली,
तो खैरात मांग-मांग कर क्यों जीयूं,
इतना डर-डर कर ,संभल-संभलकर सिर्फ मैं ही क्यों लाज रखूं,
क्यों घुट-घुट के जिए, क्यों छूप-छूप के रोए,
जिंदगी अपनी है तो किसी और को क्यों हक दूं,
तो क्यों घुट-घुट के जीए, तो क्यों छूप-छूप के रोए,
जिंदगी अपनी है तो किसी और को क्यों हक दुं !
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Love_suv_for_all |
31,12,2021
अंतिम तिथि बित चुके दिनों का- टूटे ख्वाबों का -बेचैनी से भरे लम्हों का-तो दर्द में भी मुस्कुराने वाले पलों का,
यह साल नाम रहा सहने वालों के!
.................... 👏👏👏
आज अंत होगा और आगाज भी! ✌️✌️✌️
नए सवेरे का उमंग भी होगा, बीते सालों का अनुभव भी होगा!
आज रात 12:00 बजे पूरे साल सिर्फ एक पल में बदल जाएगा।
साल बदल जाएगा-दौर बदल जाएगा।
मगर इंसान हर साल की तरह,
उत्साहित होकर शांत पड़ जाएगा!...
हमेशा की तरह!....
मगर एक बात सच है कि-स्थाई कितना भी लगो,
दुखदाई कितना भी हो-
बदल जाएगा-बदल जाएगा।
तू बस चलता रह सब कुछ बदल जाएगा! . . .👣👣👣
हर साल गुजरता गया जिंदगी की तरह,
हम बिछड़ते गय पेड़ों से पत्तों की तरह ,
बिछड़े तो, बिछड़े ही रह गए,
हवा के झोंकों के सहारे कभी इस राह,
तो कभी उस राह पर गिर गए,
मगर कभी उस पेड़ पर वापस न लौटें;
जिससे अलग हो गए।. . .
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