इंसान ही है- समझो तो

इंसान ही तो है:- 

यह परछाई बहुत कुछ कहती है,

अगर तुम सच में सुना तो,

यह खामोशियां बहुत कुछ बोलती है,

अगर तुम सच में सुनो तो,

रूठे चेहरे भी ईश्क करते हैं,

मगर तुम सच में समझो तो;

रूठे लोग भी मुस्कुराते हैं,

तुम उन्हें हंसाओ तो,

यह परछाइयां बहुत कुछ कहती है,

ये तन्हाईयां बहुत राग अलपती है,

अगर तुम सच में सुनो तो।

बेजुबान लोग भी बोलते हैं,

अगर उन्हें समझो तो,

हम अभी- भी इंसान ही तो है,

अगर तुम सच में समझो तो !. . .

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तुम्हें पाया था ऐसे:-

तुम्हें पाया था ऐसे जैसे:-
आसमान ने बादल को,
बादल ने वाष्पन को,
वाष्पन ने तपती धरा के नीरों को,
नीरो ने महासागर-सागर और नदी को,
महा सागर सागर और नदियों ने हिमालय को,
हिमालय ने हिम को,
हिम ने बादलों के नीरो को,
निरो ने बारिश को,
बारिश ने बादल को,
और बादलों ने आसमां को,
तुम्हें पाया था जहां से फिर घूम फिर कर वहीं पर आकर रुक गए,
हम शुरुआत से अंत तक और ...
अंत से शुरुआत तक वापस आ गए।. . .

हिंदी कविता,#hindi_poetry


वहम

मैंने तारो को टूटते देखा है,
चांद को घटते देखा है,
तुम तो नहीं जाओगे ना,
ऐसा पूछने वाली ने कभी मौका ही नहीं दिया,
हमें पूछने का,
हम तो आकाश ठहरे ना घटते हैं,
ना टूटते हैं,
बस फैले हैं आनंत तक,
सब है मुझ में मगर मेरा नहीं सबका हक है मुझ पर,
उसका भी था,
मगर मैं तो आकाश था ना,
चांद भी है-तारा भी है,
मुझे लगता है मेरा है,
मगर मैं उनका नहीं-वह मेरे नहीं,
बस वहम है जिसके शिकार यह सारी दुनिया है!
वह मेरा है-यह मेरी है . . .
यह इस जिंदगी का सबसे बड़ा वहम है!. . .

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