जिंदगी:- हिंदी कविताएं

         जिंदगी

रिश्ते बनते हैं- बिखड़ने के लिए,

लोग मिलते हैं-बिछड़ने के लिए,

इश्क भी सच्चा वह है-जो पूरी नहीं होती यहां,

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लोग भी सच्चे वह है-जिनकी चोरी पकड़ी नहीं जाती  यहां,

जिंदगी एक ऐसी दौड़ है ;

जिसका हर पहलू बिखड़ने के बाद ही महरूम है,

जीत की कीमत- हारने वाले को पता है,

रोटी की कीमत-भूखे को पता है;

जिंदगी एक ऐसी दौड़ है;

जिसकी हर कदम अंजनी-बेखबर

और आश्चर्य से भरा है;

जिंदगी तुझे कौन समझ सका है,

जो समझा भी-वो भी कहां बच सका है!...

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   जिंदगी

बरसात हो रही है,

जिंदगी यूं-ही परेशान हो रही है,

सर्दी के मौसम में जैसे कोहरा छा जाता है,

वैसे हई जिंदगी से सब कुछ ओझल हो रही है,

ना चाहते हुए भी रोए हैं,

ना चाहते हुए भी हंसे हैं,

एक जिंदगी में कई बार टूट चुके हैं,

अपने ही खिलाफ खड़े हुए:-

अपने ही साथ के लिए रोए हैं,

एक जिंदगी में कई बार खुद को खो चुके हैं!

                * * *

अतीत पिछा करती हैं:👉👇

भूल जाए लोग मगर, जमाना याद रखता है,

अतीत पीछा करता है,

बलिदान भुलाया जा सकते है,

मगर प्रतिध्वनियां कानों में गूंजती है,

 सुन-सान हो जाए चाहे पूरी बस्ती,

 मगर मिट्टी चित्र थामे रहती है,

अतीत पीछा करती है,

बिछड़े हुए लोग,

जैसे अपनों को ढूंढते हैं,

अतीत वैसे ही सामने आती रहती है,

चाहे बदलो कितने रास्ते ,

वह सहसा-सजग हो जाती है,

अतीत पीछा करती है;

भविष्य का थामो  हाथ;
 
या वर्तमान में जिलों कितना भी,
 
अतीत सदैव पीछा करता है,

 जैसे धूप आने पर,

रोशनी में खड़े होने पर,

आदमी की परछाई दिख जाती है,

 वह भी ठीक है ऐसे ही दबे पांव आती है,

अतीत पीछा करता है!

भूल जाए लोग

मगर जमाना याद रखता है,

अतीत पीछा करता है,

शांत है वह मगर सदैव जागृत रहता है,

बच के निकलो कितना भी,

धरती की तरह वह घूम फिर कर- फिर वही पर आता है,

 अतीत पीछा करता है!

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