हिंदी👉कविताएं :- चलो फिर अंतरात्मा से जुड़े
इतनी समस्या नहीं है,
जितनी तुम बना लेते हो,
इतना सोच-सोच के खुद की ही-
चिता सजा लेते हो,
जिंदगी बार-बार गिराती हैं-
संभलने के लिए,
तुम खुद ही ज्यादा सोच-सोच के
अपनी लंका लगा लेते हो;
फिर दोष जिंदगी को देते हो,
ठोकरों का क्या है?
वह तो अपना कर्म कर देती है,
तुम्हें नीचे गिरा सोचने का:-
मौका देती है,
मगर तुम ही वो हो-
छोटी-छोटी समस्याओ में उलझ खुद को मिटा देते हो,
फिर कहते हो जिंदगी ने कभी मौका नहीं दिया
मुझे ?
तो बताओ अब
इसमें जिंदगी का क्या दोष,
जब तुम खुद को ही नहीं संभाल सकते-
तो।
*।् ्*्।््् *
💪वीर💪
डरते नहीं है-थोड़ा सहम जरूर जाते हैं,
मिट्टी के शेर-आग में भस्म हो जाते हैं,
सिर्फ सोने ही-तप कर सोना बन पाते हैं,
कायर कहा हार को सहन कर पाते हैं,
डरते नहीं है-थोड़ा सहम में जरूर जाते हैं,
विर हार में भी मुस्कुरा लेते हैं,
वह डटकर आंख-से-आंख मिला लेते हैं,
मौत हो सामने तब-भी मुस्कुरा कर लेते हैं,
वीर हर घड़ी प्रयासरत रहते हैं ,
डरते नहीं है-थोड़ा सहम जरूर जाते हैं,
मगर वीर बिल्कुल भी नहीं धीरज खोते हैं।
10 बार गिरे-100 बार गिरे,
इससे मतलब ना-हीं,
जब-तक रुके नहीं,
तब-तक हारे ना-ही!
यह है इतिहास सत्य-प्रतिष्ठित
सर्वसम्मानित!
जो इसको समझो:-
नौसिखिया भी-प्रोफेसर बन गया,
10 बार गिरे-सौ बार गिरे
इससे मतलब ना-हीं,
जब तक दिलों में धड़कन हैं,
जिस्म में सांसे,
आंखों में अंगारे,
होठों पे मुस्कान,
समझ-लो कि कहानीअभी-भी
बाकि है-उनकी।
दस बार गिरे-सौ बार गिरे
इससे मतलब ना-हीं!...
🪶❤️❤️❤️❤️❤️❤️🪶❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️🪶❤️❤️❤️
जब जब पाप का घड़ा भरता है ,
तब तब नारायण स्वयं पधारता है
वह नारायण आत्मविश्वास और
मनुष्य की अंतिम सहनशक्ति होता है
वह नारायण खुद मनुष्य का विवेक होता है,
वह नारायण भूखा पेट-
आंखों की चिंगारी,
दिलों की कोशिश और
थोड़ी सी जुरर्त होती है,
वह नारायण स्वयं मनुष्य होता है
जो इतिहास ही बदल डालता है।
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