सफर

Train,#train

गांव से हमने अपनी पकड़ी ट्रेन,

बस्ती छोड़ अपनी निकले,

कमाने:- अपनों से दूर,

कुछ और अपने बनाने और अपने पेट की खातिर-

कुछ जुटाने;

बस्ता भरा- और तेजी से दौड़े,

कि-कही ट्रेन ना छूट-जाय अपनी,

ट्रेन को पकड़ा-बिल्कुल सही समय पर,

कुछ थके जरुर:- मगर उसका गम नहीं,

क्योंकि ट्रेन छूटी नहीं,

सफर अब ट्रेन का था,

एक घर छोड़-एक नया आशियां बनाने का था,

जिंदगी को एक नई दिशा देने का था,

सफर जिंदगी में- जिंदगी को जीने का था,

सफर लंबा था- स्टेशन पर ठंडी रात में भी भीड़ थी,

गलियों में अंधेरा और चुप्पी के सिवाय कुछ नहीं,

मगर स्टेशन पे भीड़ बहुत थी,

सफर लंबा बहुत था- थकान भरी लम्हे भी बहुत थे,

कहीं पर लड़े-तो कही पर डटे,

कहीं मदद मांगी तो कहीं-मदद भी किया,

रोते-मुस्कुराते सफर चलता रहा,

कहीं भीड़ ज्यादा हुई- तो कहीं कम हुई,

सफर लंबा था-यूं ही चलता रहा,

पलके झपक रही थी- मगर सोये नहीं थे,

कुछ थके-थके थे:- मगर जहां जरुरत पड़ी,

वहां तेजी से दौड़े;

थक-हार के चूर थे-सफर से बेहाल थे,

कुछ खाय नहीं थे-सही से,

कुछ ज्यादा इंतजार में बैठे थे,

गम था- दुख था - थकान थीं,

आंखों में भराश थी,

शरीर थक गया था- मन ऊब गया था,

क्या बताऊं सफर से पूरा हार गया था,

मगर कोई ग़म नहीं,

क्योंकि सफर पूरा हुआ था,

जहां पहुंचना था-वहा पहुंचा के गया था।

           ‌            उड़ना   🪶🐦

टूटे हैं-थोड़े ख्वाब तो क्या-

जिंदा है-बहुत काफी है!

 फिर उड़ेंगे पंखों पर मरहम लगा-

अभी जिद्द- सांसों की जिंदा है,

हम इंसान है-

भगवान नहीं,

हारना अंतिम अध्याय नहीं!

हम उड़ेंगे-हम उड़ेंगगे,

फिर से-जब तक सांसे बाकी है!

क्योंकि हम इंसान ही तो है!...

कुछ शेर :👉👇

कितना डर है-कितना ग़म है

जिंदगी तू कितनी बेदर्द है!..💔💔💔


क्यों इतने सहमे-सहमे से बैठे हो,

जिंदगी कब खत्म हो जाए पता नहीं, 

फिर किस के इंतजार में बैठे हो!...


मिट्टी के बने इंसान जब-उठ जाते हैं,

तब मिट्टी को चूमना अक्सर भूल जाते हैं।...

                    ***

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मैं आज नानी गांव आया तो देखा कि सारी औरतें फुस-फुसा रही है। जोर-जोर से बात कोई-कोई ही करता था। सारे फुस-फुसा के।मेरे को पहले-पहल लगा कि शांति बरकरार रखने के लिए कर रहे हैं। मगर मां से पूछने पर पता चला कि अशांति के लिए फुस-फुसा के बात करते हैं। क्योंकि एक दूसरे की कमियां ढूंढने के सिवाय कोई काम ही कहा था इनके पास। सारे-सारा दिन जल्दी जल्दी काम निपटा अपने- अपने काम में लग जाते हैं। वही फुसफुसाना। फुस-फुसाते वक्त यह समझते हैं कि ऐसा करने से बात भी किसी और को बता देंगे, और सामने वाले को पता भी नहीं चलेगा। Continue reading 👈❤️




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