हिन्दी की‌ पुकार-चलो सुनते है-फिर से आज....

इंसान को पड़खते-पड़खते,

कहां से कहां तक-

आ गए हैं इंसान,

खुद को भूल कर के !

🌺🌺😊😊🌺🌺

समुंद्र में मेहताब है-

दिलों में उबाड़ है-

कैसे बताऊं तुम्हें-

तुम कितनी जरूरी हो मेरे लिए; 

सुबह की पहली किरण में तुम-

रात की काले स्याहे में तुम-

मेरी जहन में तो सिर्फ तुम्हारा ही नाम है-

मेरी कलम की हर गिरती स्याही का-

तुम्हारे धड़कन जितनी ही रफ्तार है,

 कैसे बताऊं तुम्हें-

 कितना जरूरी हो तुम मेरे लिए,

 बस इतना जान लो मेरी मकबरे की- अजान हो तुम।

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दिल सभी के पास है-

मगर सभी दिलवाले नहीं होते,

लकीरे हाथों के‌ तो सभी के पास होते हैं-

मगर हाथ हर किसी के पास नहीं होते,

इंसान तो सब है-

मगर इंसानियत सभी में नहीं होता,

दिल तो सभी के पास है-

मगर सभी दिलवाले नहीं होते,

इंसानी बस्ती में सभी-

इंसान नहीं होते।

👉👉❤️❤️👈👈

मतलब की यारी-

मतलबी दुनिया,

 के मतलबी खिलाड़ी,

 कहते हैं हम- मतलबी नहीं है,

फिर भी कैसे मतलबी लोग मिल जाते हैं,

मतलब से अपने-

अपना मतलब निभाते हैं;

यह मतलबी लोग यार कितने मतलबी होते हैं!...

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1.एक शक्तिशाली राजा था। उस वक्त उससे लड़ने की क्या कोई और राज्य आँख उठाने तक की कोशिश नही करता था उस पर। मगर उसका एक बेटा भी था। वो थोड़ा बिगड़ हुआ था। बिगड़ हुआ का मतलब यह नही वो लड़ता था।मतलब यह कि उसको अपनी चापलूसी सुनना बहुत पसंद था। दरअसल वो राजा का बेटा था ना, तो लोग उसे प्रसन्न रखन की कोशिश करते। जिससे उन्हे ईनाम मिलता था राजा के बेटे कि ओर से। उसको अपनी तारीफ सुनने की लत लग गई। उसको बिना भनक लगो वो इस आदत का शिकार हो गया।Continue reading 👈

2.यह आजकल का जो दौर चल रहा है। किसी के पास वक्त कहां है। सब कुछ जल्दी-जल्दी चाहिए। जितनी जल्दी हो सके चाहे वह पैसा डबल करना हो ,शादी करनी हो, रिलेशनशिप में आना हो। सब कुछ जितनी जल्दी हो सके उतना अच्छा। ' शुभ आरंभ' मगर वही बात आ-जाय रिश्ते निभाने की तो सब लोग इंतजार ही करते हैं। कि पहले यह माफी मांगे तो फिर मैं भी करूंगा कोशिश बात करने की। Continue reading 👈❤️

3.एक लडका था। तकरीबन होगा 14-15 साल का। उसके पिताजी बहुत बड़े वकील थे ।और वह जिस इलके में रहता था ।उस इलाके में 9-10 घर छोडकर बाकी सारे घर छोटे-छोटे,झुग्गी-झोपड़ी के बने थे। मगर यह लड़का कभी खुश नही रहता ; जैसे वो जी रहा था ।कभी उसे सब्जी में तड़ी की कमी महसूस होती। तो कभी उसको त्योहारों पर मिले कपड़ो पर नाराजगी होती। वह हर तारिके से यह मानता था की उसके पास ऐसा कुछ भी नहीं है जो की हांसी का करन बनता। वह वही अपने छत्त से खड़े-खड़े वक़्त गुज़रने का शौक़ीन था। यह छत्त से खड़े-खड़े एक ऐसे लड़के को देखता जो हमेशा मुस्कराता रहता। उसे देखकर यह सोचता है कि उसके पास वो सबकुछ है जिंदगी मे जो उसे चाहिए। Continue reading 👈❤️


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