जिंदगी

 

Door,#hindipoetry

समझ मे नही आ रहा -

क्या चल रहा है -

मैं तो ठहर सा गया हूँ -

फिर क्या दौड़ रहा है -

मैं तो मौत हूँ -

फिर कौन जी रहा है -

समझ में नही आ रहा है-

मैं नासमझ हो गया हूँ -

या सवाल अंजान हो गय है -

रातो मे जागने लगा हूँ -

लगता है अंधेरो को दिन समझ बैठा हूँ -

सूरज को चाँद,

आखिर मैं ऐसा क्यो होता जा रहा हूँ ,

मुझे समझ मे नही आ रहा है !

बस जीये- जा रहे है -

ना चाहते हुए भी मुस्कुरा रहे है !... 

                                        ***


Krishna,#hindipoetry

हमको भी मालूम है -

इस कहानी का अंत -

बस मासूम बने पड़े है -

हम उनके संग !...

     - जिंदगी बिखड़ी सी है

   - कमबख्त हम सुलझे है - सिर्फ !...

             -***-

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