तस्वीर

Hindi poetry

आज उस राह से गुजरा तो बहुत बदल सा गया मै,

उसकी तस्वीर पर माला चढा देख रूक सा गया मै,

जिसको मुड़ के देखना भी पसंद नही करता था,

आज उसी की तस्वीर के सामने खड़ा हो -

उसको महसूस करने की कोशिश कर रहा हूँ -मै,

ईक बार वापस लौट आने की हाथजोड़ विनती कर रहा हूँ मै,

भगवान के सामने उसकी तस्वीर ले रो रहा हूँ-मै,

इंसान की किमत उसकी तस्वीर से लगा रहा हूँ-मै ,

शायद आज इंसान हो रहा हूँ - मै,

स्वप्न टूट जाने के बाद स्वप्न याद करने की कोशिश कर रहा हूँ-मै,

शायद आज इंसान हो रहा हूँ-मै,

उसकी तस्वीर को ले उसे अपना कह रहा हूँ-मै,

उसकी वो मुस्कुराहट याद कर अश्क बहा रहा हूँ-मै,

उसका वो ना बोल पाने वाला दर्द सह रहा हूँ -मै,

शायद आज इंसान हो रहा हूँ-मै ।


यह मुझे उस इंसान की अक्श सिखा रही हैं, कि इंसान मौत के बाद बनते है ! जीते-जी तो मरे होते है !

 


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