जरूरी था कमबख्त हार जाना भी- अपने जिद्द पर आ खड़े हुए थे :-
कुछ शायरियाँ तो कुछ तुके -
आज करते है , कुछ दिल की बाते !...
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गाँव पर कविता
शहर की तपिश को आराम देने,
आओ कभी गाँव की छाव लेने,
थका-हारा सा; जो मन है -
उसे आराम देने,
आओ कभी गाँव की छाव लेने,
कल-कल बहती नदियो मे तैर लेने,
आओ कभी गाँव,
उसका आनंद लेने ।
कच्ची मिट्टी की एहसास
और
खुली हवा का साँस लेने ।
बगीचो मे नही, खुले खेतो में,
सरसो के फूलो मे अपना
- हाथ मारने,
आओ कभी गाँव की छाव लेने ।
गाँव बुला रहा है- आओ थोड़ा सूकून लेने !...
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बेरूखे से सवाल पर हम भी रूठे है,
की जिंदगी में - अनगिनत बार टूटे है !...💔💔💔
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हम भी टूटे है- कुछ इस तरीके से -
कि दर्द तो बहुत है-
मगर बता नही सकते !....💔💔💔
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पहेली
ये जिन्दगी भी क्या अजीब पहेली है,
हर किसी के अपने-अपने झमेले है,
कोई इश्क मे बर्बाद है-
तो कोई इश्क ना करके पछता रहा है,
ये जिन्दगी भी कितनी अजीब पहेली है !
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