तु अपना कर्म करे चल .....
तु अपना कर्म करे चल,
मिट्टी मे बीज भरे चल,
और क्या करेंगो या नही,
इसकी मत सोच,
तु बस अपना कर्म करे चल,
तु औरो के लिए नही,
अपने लिए पैदा हुआ है,
तु अपने हिस्से का काम करे चल,
अंधेरे मे तु अपने हिस्से की मोमबत्ती बन,
रोशनी तेरे पास भी होगी,
तु बस अपना कर्म करे चल,
औरो की मत सोच बस अपना धर्म निभाय चल,
हे नर ! मत निराश कर खुद को,
बस अपना कर्तव्य निभाय चल तु,
बाकि उस रब पे छोड़ दे,
लेकिन जो तेरे है-हाथ मे,
वो काम कभी मत छोड उस रब पे,
हे नर ! तु बस अपने हिस्से का कर्म कर्म करे चल,
तु अपने हिस्से की मेहनती हाथ बने चल,
हे नर ! तु अपना काम करे चल !.....
***
औरो की सोच-सोच के,
मै खुद को कोसते रहता हूँ,
फिर अंत मे अफसोस की कब्र ओढ के सो जाता हूँ!
पछतावे की कब्र मे दफन हो जाता हूँ,
कब्र मे सिर्फ अकेले अपने-आप को पाता हूँ,
जिनके कारण मर गया-
उन्हे दूर-दूर तक नही देख पाता हूँ,
बस जब तक जिंदा रहता हूँ,
औरो की सोच-सोच के,
मै खुद को कोसते रहता हूँ,
हर पल मै जलता रहता हूँ,
मगर कब्र मे अकेले ही लेटता हूँ !...
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