कविताए फिर क्यू बुलाय :- चलो फिर दिल को टटोलते है भाई
शरीफ
बड़े घर - शानदार कार - सफेद कोट -
और विलायती बोल-बोलने से कोई शरीफ नही हो जाता ।
इनसे जरा बचकर ही रहना,
यही है जो वक्त के समय मदद नही करते,
और-औरो के लफरे मे क्यो पडना,
बोल के खिसक लेते है ।
अपना काम हो तो राम-लक्ष्मण; जय-विरू,
न हो तो - दूर से ही राम-राम,
ये शरीफ बड़े हरामखोर होते है,
जरा बचके रहना,
इन्ही का हाथ है औरो को बदनाम-बदमाश
और चोर बनाने मे,
ताकि अपने बच्चो को वो हमारा उदाहरण दे सके,
इन शरीफ लोगो से जरा बच के रहना,
ये वही मुँह मे राम-बगल मे छूरी वाले इंसान होते है।
यह वही है जिन्होने राम को सीता से अलग करवाया,
सती पर कीचड़ उछलाया-श्री कृष्ण पर आरोप लगाया था,
इन शरीफो से जरा बच के रहना,
ये वो साँप है जिनमे जहर होता है,
मगर निवास पानी मे करते है।
बड़े घर -शानदार कार - सफेद कोट और
विलायती बोल-बोलने से ,
कोई शरीफ नही हो जाता !...
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सवाल
इक जिंदगी मे सवाल कितने है,
तेरे बिन जीने का एक मसला है,
एक मसला जीने का है,
तीसरा मुस्कुराने का है,
चौथा दर्द छिपाने का है,
पाँचवा यारी निभाने का है,
इक जिंदगी मे सवाल कितने है,
माँ-बाप की शान का है,
बहनो की प्यार का है,
भाईयो के भुजा का है,
एक रिश्ते मे-बंधन कितने है,
इक जिंदगी मे सवाल कितने है,
इक जवाब ढूंढने का है,
दूजा सही सवाल करने का है,
तीसरा कब झुकने का है,
इक जिंदगी मे सवाल कितने है ।
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