खामोश

Hindi poetry

खामोश कब-तक रहे,

बोलना तुमने ही तो सिखाया है,

बेजुबान थोड़ी है,

तो चुपचाप सहते कैसे रहे,

जानवर थोड़ी है,

हमे भी हक है-हक से जीने की;

तुम कौन हो-ये हम पे  बंदीशो लगाने वाले,

हम भी इंसान है-खामोश कब तक रहे,

उम्मीदे भूखे पेटो ने ही तो जगाया है,

खामोश कब तक रहे,

मुठी टूटे विश्वासो ने ही तो बनाया है,

हारे कब तक रहे,

जीत की आश रूठे तकदीरो ने ही तो जगाया है।

खामोश कब तक रहे,

खतरा लेना डरपोको ने ही तो सिखाया है!

खामोश कब-तक रहे!

बोलना तुमने ही तो सिखाया है ।

https://besthindikahanimerijubaani.blogspot.com/

Comments

Popular posts from this blog

SHAHEED-E-AZAM

Ae- Watan-Mere