हिंदी कविताए

  प्यार 💞💞💞💞

वो सपनो मे मुस्कराने  वाली परी थी,

मै बंजर जमीं की हकीकत था,

वो महलो की चमक थी,

मै रेगिस्तान मे उडती धूल का कण था,

वो बसंत की बारिश जैसी थी,

मै सदियो से बारिश की तडप वाली जमीनी हकीकत था,

फिर भी आँख लड गया,

ना ये उनकी गलती थी, ना हमारी गुस्ताखी,

यह तो बस वक्त की चाल थी,

दो पल की रेगिस्तान वाली वर्षा थी,

मगर उनकी सपने और मेरी हकीकत मे,

अंतर जितना सदियो पहले थी,

उतनी आज भी है!

ना वो ही मिली, ना मै ही बन पाया अपना,

उसको खोने के बाद, मगर एक बात है,

कल भी वो ख्वाब थी, और आज भी एक ख्वाब ही है!

वो सपनो मे मुस्कराने वाली परी थी,

मै बंजर जमी की हकीकत था।

मिलन कहाँ संभव था!

वो तो बस एक सुन्दर स्वपन था !...  




 

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