कुछ कविताए छोटी है-मगर समझ सागर जैसी है
जिंदगी
दो पल का रास्ता है,
उसमे चार लोग मिल जाते है,
एक हसाँता है,
तो दूसरा रुलाता है,
तीसरा सिखाता है,
तो चौथा साथ निभाता है,
यही शायद जिंदगी कहलाती है।
अनजानी राहो पर कोई अंजान-
मिलकर अपना बन जाता है,
तो वही परिचित राहे हमेशा-
के लिए अंजान हो जाती है।
शायद यही जिंदगी की 'सिख' कहलाती है!
कोई अपना गले मिलकर चाकू मारने के लिए पिठ ढूँढता है,
तो वही कोई अंजान हमसे मिलने के
लिए कई बहाने ढूँढता है,
शायद यही 'अनुभव' कहलाता है।
फिर जो कभी साथ नही दिय होते
वही चार कंधो पर उठाते है,
और जिनके सहारे रहने कि सोचता था,
वही चार कंधो पर उठने लायक बनाते है!
शायद यही किस पर 'विश्वास' करना है या
ना करना है-सिखाता है।
शायद यही दो पल:-
जिंदगी ;
और चार लोग:-
परिवार और रिश्ते कहलाते है।
Comments
Post a Comment