हर नई शुरूआत:- अंधारो के बाद ही होती है

       तु घर से निकल,

          पहल कर,

      कुछ ना भी मिला,

 तो भी क्या तजुर्बा नया होगा।

        तु आराम छोड़,

           मेहनत कर,

        कुछ ना भी मिला,

  तो क्या शरीर तो स्वस्थ होगा तेरा।

  तु अकेला चल,जब तेरी कोई ना सुने, 

    कोई हमसफर ने भी मिला, 

        तो भी क्या,

 तु नया मंजर तो देख आयेगा।

तु पहल कर इसमे कोई हर्ज नही,

   तु हार जा कोई गम नही,

   मगर पहल कर,

क्योकि तु कुछ नया जरूर सिख के आयेगा,

      जो तेरे बहुत काम आयेगा!....वरूण 

-ना गिरने का खौफ है,

-ना बदनामी का डर,

-फिर तुझे कोई नही रोक पायेगा,

-ऊँचा उड़ने से ऐ नर!






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