चेहरे है सौ
चेहरे है सौ,
बाते कई,
तुम-सा देखा न कोई,
शाम हो या सुबह,
तेरी यादो मे जीते और मरते है हम,
फिर भी इतना क्यू डरते है-हम,
तुझसे मिल भी ना पाऊ,
खोना भी नही चाहता,
मगर यह बात तेरे से कह भी नही सकता,
तुम हो मेरी साँसो मे, यादो मे, बातो मे,
चेहरे है सौ,
बाते कई,
मगर जहाँ तु नही, वहाँ मै नही,
तुझमे मै-मुझमे तु,
बस यही है-दुआ;
उस रब से,
जहाँ तु रहे,
वहाँ मै रहूँ,
तेरे बिना, एक पल भी ना जीऊ,
बाते है कई,
चेहरे भी कई,
मगर इस दिल को तेरे सिवा भाता भी नही कोई!...वरूण
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