हिंदी-कविता
ना पूछ एक वक्त,
कैसे-कैसे दिन देखे है-मैने,
अपनो को भी बदलते देखा है-मैने,
सपनो को भी मरते देखा है-मैने,
राहों मे अपनो से भटकते देखा है-मैने,
ये ना पूछ एक वक्त,
क्या? क्या देखा है-मैने;
वक्त-वक्त पर दर्द खाते देखे है-मैने,
दर्द लेकर गहरा-मीठी मुस्कान मुस्कुराते हुए देखे है-मैने,
ये ना पूछ एक वक्त,
कैसे?कैसे दिन देखे है-मैने,
सूरज को भी आसमाँ मे बादलो से संघर्ष करते देखा है,
रात को चंद्रमा को भी घटते-बढते-गायब होते देखा है-मैने,
कुत्तो के झुुंड मे शोरो को भी फंसते देखा है-मैने,
ये ना पूछ ना वक्त,
तुझको भी बदलते देखा है-मैने,
खुद को खुद से ही कोसते देखा है-मैने,
खुद को खुद ही रोकने का संघर्ष करते देखा है-मैने,
औरो के चक्कर मे अपनो को मरते देखा है-मैने,
ना पूछ एक वक्त और क्या? क्या देखा है-मैने!
फूलो से भी भटकते देखा है-मैने,
काँटे से भी ज्यादा चुभते लोग देखे है-मैने,
इस छोटी-सी उम्र मे,
लोगो को देखा है-मैने,
ये ना पूछ एक वक्त,
क्या? क्या?
देखा है-मैने!
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