एकता
छोटी छोटी बुंदे ,
जब मिलाती है हज़ारों की तदाद में एक जगह पे,
तब बनती है नदी वहाँ पे,
जब 'फूल' गुथ जाते हैं,
सैकड़ो की तादाद में एक डोर में ,
तब वो पैरो-पे नही,
पाते है आसन गले मे,
एकता कि ताकत को पहचानो;
ये हिंदु-ये मुस्लमान ,
मत बँटो नेताओ के चक्कर मे,
साथ हो तो 'हिम्मत' हो,
बँट गय हो तो समझो कटने वाले हो,
साथी है तो ताकत है,
किस्सो मे बटोगो तो सस्ते मे निपट जाओगो,
कहानी बनोगो तो अंत तक साथ जाओगो!...
अंत तक चलना है , तो साथ चलो, बिच राह मे ही, सुख जाना है, तो शंक से बिखर जाओ!... |
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