पानी
पानी
हिम से लघु बुंदे चु-चु कर,
बनी तरल -अमृत्व-सी,
गंगा कि जलधारा का,
पापा मोचन कुंभ-सी,
हर घूट निराली है-उसकी,
हर कण-कण मे व्याप्त है-वो शिवांश,
कभी बाढ़ है,तो कभी समतल भूतल-सी,
कही खाड़ा ,तो कही अमृत-सी,
कही नूतन-सी लोग चाटत है,
तो कही गिरी भर मे लोग नहावत है,
ई पानी है;ई पानी है;
यही संसार निवारत है,
फिर भी लोग करते इसको मट-मैली-सी,
अपनी प्यास बुझा, औरो कि प्यास मारते है,
पानी को गंदा करके,
अपना पाप धोने भी वही जाते है,
यह कब सुधरेगो पता नही,
जब बुंद ना होगी पिने को क्या चाटेगो अपनी
प्यास बुझाने को,
ई पानी है-ई पानी है,
तभी हम सबकी कहानी है!...वरूण
जब तक संसार मे पानी है,
तब-तक ही हमारी कहानी है!...वरूण
NO WATER : NO LIFE....
SAVE EVERY DROP,
FOR NOT TO DROP....
कल-कल सी बहती है,
तभी हमारा कल चैन की सांसे लेती है..वरूण
जल बिना ,कल नही,
बचाओ हर एक बुंद
ताकि बची रहे इंसानियत की सांसे!..वरूण
Every drop is important....
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