सफलता
सफलता |
यूँ ही नही मिलती सफलता आँचल मे,
बार-बार करना पडता है कोशिश,
तन थक जाता है चल-चल के,
मुख सुख जाता है शुष्क धूप मे जल-जलकर,
लोग शोर मचा रहे होते है,
वो रास्ता बना रहे होते है,
तन को तपा हीरा बना रहे होते है,
बार-बार गिरने के बाद भी वो रूकना नही जानते है,
पहली उड़ान को वो आखरी नही मानते है,
तन थक-थक के चूर हो जाता है,
मगर मन एक बार और प्रयत्न करने को कहता है,
ऐसे लोग ही तो सफल होते है,
जो मन को जीत लेते है,
मेहनत की चोट को जो भली-भाँती समझते है,
चमकती ताज को वही धारन किया करते है,
जो नाम के सहारे आते है,
वो जल्द ही राम-राम हो जाते है,
मेहनती हाथ भले ही देर से आय,
मगर आता जरूर है;
हजार बार गिरने के बाद ही चलता है मनुष्य बड़े शान-से,
यूँ ही नही मिलती सफलता मेरे यार-वे,
थक-थककर चूर हो जाता है-तन,
मगर मन कहता है एक बार और कर!....
दोस्तो:-
सफलता कोई कार्य नही है, यह एक आदत है!...
Work like a hell...
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