पिता

 जो कभी किसी के गुस्से को नही सहता था,

वो अब नखरे सहने लग गया है,

क्योंकि वो पिता जो बनने लग गया है;

सारे गमो को अपने कंधो पर रखने लग गया है,

जो कभी एक पल भी-भूखा नही रहता था,

वो अब एक पहर का खाके भी मुस्करा रहा है,

क्योकि वो पिता जो बनने लग गया है।

जो कभी वक्त पर घर लौटना नही जानता था,

वो वक्त का पाबंद हो-गया है,

क्योकि वो पिता जो बनने लग गया है।

अपने मुस्कान से ज्यादा बच्चे की मुस्कान 

जो प्यारी है,इसलिए वो एक ही कपड़े को 

वर्षो चलाने लग गया है।

जो कभी भगवान को नही जानता था,

वो अब सच्चा भगत बनने लग गया है,

जिसकी आदत थी दोस्तो के संग पिने की,

अब वो अकेले मे कभी-कभी पिने लग गया है,

क्योकि वो पिता जो बनने लग गया है।

अपने मासूमो का मुस्कान जो बनने लग गया है,

वो जो कभी अपने पिता से कड़वी बाते सुनता था,

आज वही सुनाने लग गया है,

जो चलता था,बड़े अंदाज मे,

अब वो हाथी-घोडा  बनने लग गया है।

क्योकि वो पिता जो बनने लग गया है।

वो जो अवारो की तरह घूमा करता था राहो मे,

अब वो घर पर ही रहने लग गया है,

क्योकि वो पिता जो बनने लग गया है।

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आसान नही होता पिता होना भी,

दर्द बहुत होता है,मगर जता नही सकते!

अपनी आंसु भी हम दिखा नही सकते,

क्योकि पिता जो ठहरे-इसलिए हम जता नही सकते!...❤❤

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गम भी है,आंसु भी है,

मगर दिखा नही सकते,

क्योकि पिता जो ठहरे!...🚬🚬

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