जंगल
बडा गंंभीर था,पूरे जंगल को दुबारा बसाना। चारो तरफ सिर्फ लासे थी।पेेेेेड़ो की राखे थी।हवा मे गर्माहट और प्रदूषण थी।यह देेेेेेखकर जंगल शोक मनाया था।मगर अस्तित्व अभी-भी ज़िंदा था।शेेर फिर शिकार पर था।गिद्ध चमड़ी नोच-नोच के खा रहे थे।हिरण बााकि बगियो मे टहल रहे थे। हाथी फिर नदियो मे नहा रहे थे।जंगल बदला-बदला था।खौफ का डर अभी-भी सबके मन मे था।मगर जिंदा रहने के लिए लड़ना जरूरी था।
कुछ सालो मे ही वो जंगल फिर से खूब हरा-भरा हुआ। यमराज के द्वार पर फिर स्वर्ग लौट आया था।टूटने के बाद वो और विसाल बन कर खड़ा हुआ।जंगल फिर हरा-भरा हुआ।शेर फिर दहारने लगो,हिरण भागने लगो।हाथी मदमस्त दौड़ने लगो।डर खुद डरकर भाग गया था।
ठिक ऐसे ही हमारा यह दौर चल रहा है। मगर यह प्रकुति सबकुछ लूटने ना देगी।हमारा अस्तित्व भी जरूर बचा लेगी।बस तु थोड़ा घर मे रह, एक दिन तुझे घर खुद ही आजाद कर देगी।....धन्यवाद 🙏🙏
Written by:- Varun
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