जंगल

 

जंगल मे आग लगी और सारे जानवर भागने लगो।किसी को कुछ नही दिख रहा था।सिवाय उनके काल के।शेर भी ढेर था,हाथी भी बेकार था।हिरण भाग रहा था,चिटिया बिल की ओर भाग परी।जंगल मे चारो तरफ मौत था।सिवाय जंगल के हर कोई भाग रहा था।मगर मौत से तेज कौन भाग सकता है अगर कहाँ तक भाग सकता है।जो भाग वो भी जले,जो ना भाग वो भी जले।मगर ना पूरा जंगल जला ना जानवर।

अस्तित्व अभी-भी बरकरार था। जंगल भले ही आधा राख था।जानवरो के चमरे भले ही जल गई हो।मगर जीने का  हौसला बरकरार था।जंगल अब शांत था।कोलाहाल कोका-कोला हो गया था।जानवरो के झुुंड बिछड़ गय थे।शेर झुलस गय थे।मगर अगली सुबह नजारा अलग था।सभी जानवरो के पास खाने मीट था। जंगल भले ही आधा राख था। मगर जंगल अभी-भी गुमान से खड़ा था।आसू नही बहे उसके भले ही दर्द-बेदर्द  था।जो बिछड़ गय वो कल थे।अब आज के लिए नई किरण जगानी थी।

बडा गंंभीर था,पूरे जंगल को दुबारा बसाना। चारो तरफ सिर्फ लासे थी।पेेेेेड़ो की राखे थी।हवा मे गर्माहट और प्रदूषण थी।यह देेेेेेखकर जंगल शोक मनाया था।मगर अस्तित्व अभी-भी ज़िंदा था।शेेर फिर शिकार पर था।गिद्ध चमड़ी नोच-नोच के खा रहे थे।हिरण बााकि बगियो मे टहल रहे थे। हाथी फिर नदियो  मे नहा रहे थे।जंगल बदला-बदला था।खौफ का डर अभी-भी सबके मन मे था।मगर जिंदा रहने के लिए लड़ना जरूरी था।



कुछ सालो मे ही वो जंगल फिर से खूब हरा-भरा हुआ। यमराज के द्वार पर फिर स्वर्ग लौट आया था।टूटने के बाद वो और विसाल बन कर खड़ा हुआ।जंगल फिर हरा-भरा हुआ।शेर फिर दहारने लगो,हिरण भागने लगो।हाथी मदमस्त दौड़ने लगो।डर खुद डरकर भाग गया था।

ठिक ऐसे ही हमारा यह दौर चल रहा है। मगर यह प्रकुति सबकुछ लूटने ना देगी।हमारा अस्तित्व भी जरूर बचा लेगी।बस तु थोड़ा घर मे रह, एक दिन तुझे घर खुद ही आजाद कर देगी।....धन्यवाद 🙏🙏


Written by:- Varun

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