उड़ान
शिकस्त बाजूओ ने फिर कोशिश की,
नन्ही पंछियो ने फिर-से पंख फर-फराय,
मंजील को पाने की जख्मी जिस्मो ने,
फिर सिने मे फौलाद भरी,
नन्ही पैरो ने फिर-से नई शुरुआत करी,
मोच पड़ी बेडियो ने फिर-से नई उमंग भरी,
जंग लगी तलवारो ने धार की शुरूआत करी,
रात को जाग कर दिन बनाने वालो ने फिर
से कई राते कुर्बान करी,
शिकस्त बाजूओ ने किर से जोश भरी वार करी,
नन्ही पंछियो ने पेड़ से उँची छलांग भरी,
असफलता फिर बाजू फैलाय उनके आगो -
अहम भरी-साँस ली-अहम बह्रा समी की
खौफ-दी,
शिकस्त बाजूओ को फिर शिकस्त से सामना हुई,
नन्ही पंछियो को फिर पड़ो मे चोट लगी,
मगर, सिर्फ तन घायल हुआ-मन नही,
अब तुफान चरम पर था,
मगर हौसला हिमालय-सा खड़ा था,
शिकस्त बाजूओ को अब जीत की दरकार थी,
नन्ही पंछियो को अपनी पहली उड़ान की तलास थी,
मेहनत को अब अपनी अहमियत बतानी थी,
असफलता के गुरूर को चूर-चूर करने की गुरूर थी,
शिकस्त बाजूओ ने फिर-से वार की,
असफलता ने अपनी पैर पसारने की कोशिश की,
पंछियो ने फिर से नई छलाँग मारी,
हवा के छोको ने उन्हे आ-के रोकने की प्रयास की,
मगर असफलता अपनी टाँग तुड़वा घर चली,
तो हवा के सहारे पंछियो ने परिंदो का खिताब हासिल की,
और इस तरह जीत ने उड़ान भरी।...वरूण
सैकड़ो असफलता तोड नही सकती,
बस एक ही जीत उन सभी को करारा जवाब देती है।...वरूण
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उड़ान वही पड भरा करते है, जिनके हौसालो मे जान होती है।...वरूण |
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