दो-लोग: यह दुनिया
एक लड़का था।और उसे लोगो को पढ़ने मे तकलीफ होती थी।इसलिए अक्सर वो लोगो से परेशान रहता। एक दिन इसे रास्ते मे दो लोग मिले,वो दोनो मिलनसार थे।जहाँ जाते जल्द ही सबसे दोस्ती कर लेते।उन्होने इससे भी दोस्ती कर ली।अब यह उनके चक्कर मे ही रहता।और वो दोनो अपने मे। मगर फिर भी यह उन दोनो के कारण उलझा रहता।यह सोचता कि अगर मैने ऐसा किया तो वो क्या सोचेगो,वो कपड़ पहना तो क्या कहेगो। और एक दिन ये तीनो कही जाने का प्लान बनाते है।आज वो दिन था,जब उनको कही जाना था।वो दोनो इसको लेने वहाँ पहुंचे वो अभी तक पहुँचा नही था।सो यह दोनो सोचने लगो कि वो कहाँ होगा। जितनी देर यह सोच रहे थे,
उतनी देर मे,वो वहाँ नय कपड़े पहनकर पहुँचा,यह अच्छा लग रहा था,मगर फिर भी वो हँसने लगो।कि यह क्या हम कही शेर-शपाटे पर थोड़ी जा रहे है।जो तु यह पहनकर आ गया।वो उदास हो गया और जाकर झट से कपडे बदलकर आ गया।
वो जल्दी से अपने पुराने वाले कपड़े पहनकर आ-गया।इस पर व। और जोर-जोर से हँसने लगो कि हमने एक बार क्या कह दिया।तुम पुराने कपड़े पहन के आ गया।क्या हम भिख माँगने जा रहे है। रहने दे तु, तेरी औकात हमारे साथ जाने कि नही है।वो दोनो यह कहकर वहाँ से चले गय ।और यह सिर पटक-के रह गया।
यही हम लोग है:दो लोगो के कारण हम सारे लोग बिमार है।कि यह क्या कहेगो।वो क्या सोचेगो।...
@दो लोग होगो,दो बाते होगी,
@बस यही दुनियाँ है, और यह ऐसे ही रहेगी।...वरूण
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