पृथ्वी

 

हवा का एहसास,

मिट्टी की सुगंध,

पृथ्वी है हमारी बहुत अनमोल-जान,

इसमे विराजमान हर रंग है,

पृथ्वी बड़ा और अच्छा ना कोई और घर है,

बिना कुछ लिए,सबकुछ देने वाली,

खाली करो को एहसानो से भरने वाली,

पृथ्वी है-हमारी बहुत निराली,

अदभूत-अनमोल-करिशमा,

ब्रह्म का रचा हुआ आलौकिक दिव्य सा चमकता,

सूर्य के चारो-ओर घूमता हुआ ईश्वर,

हर अन्याय को सहता हुआ करिश्मा,

पर फिर-भी मुह से कुछ भी नही कहता,

प्रलय भी लाता है-तो जीने की उम्मीद जगा देता है,

मगर हम इंसान कब सुधरेंगे,

अपने घर को क्या होटल बना के छोड़ोगो,

अरे!अब तो समझ लो,

अब तो संभल लो,

पृथ्वी को नही,अपने वंश को ही बचा लो,

बस एक पौधे को पेड़ बना दो,

बस इस एक छोटी-सी कोशिश से,

अपना भविष्य बचा लो!...



          प्रकृति संरक्षण यानि ,जन-जीवन का रक्षण!...🙆‍♀️🙆‍♀️🙆‍♀️

प्रकृति का नाश कर देगा,मानवो का विनाश।...☠☠☠



ताजी हवा पर रोब डालकर,🚬🚬🚬

मर जाओगो,🧟‍♂️🧟‍♀️🧟

गाँव की छाव की तलास मे...🏡🏡🏡

                    जल-जलकर!...🏜🏜🏜


केसरिया रंग बलिदान का,

सफेद-शांति का,

फिर हरियाली क्यो कम हो रही है-हमारी पृथ्वी का!...🏡🏡🏡



पृथ्वी  से बढ़़िय,
ना मिलेगी 
कोई और  दुनिया !...
 
वतन   से प्यार ❣,
तो क्या प्रकृति
नही    है वतन  
   का हिस्सा!..❣❣❣ 

रिश्ता जो हमारा 
पृथ्वी के साथ है-
वो कही और नही 
मिलेगा।...🏡🏡🏡
 







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