एक पत्ता

 यमुना के तट पर एक बड़-सा बरगद का पेड़ था ।

लोग वहाँ रूकते,बैठते-आराम करते ।लोगो के लिए वो पेड़ बहुत  

मनमोहक था ।उसके पत्तो से वो पेड़ भरा रहता ।

और देखने मे विशालकाय और सुंदर लगता ।पर उसी पेड़ पर एक 

नया पत्ता ऊगा ,वो बाकि पत्तो से थोड़ा अजीब था। इसलिए वो पेड़

उसका ध्यान नही रखता । ना उसकी जड़े,ना तने, उसको पानी और 

खाद नही दिया करते । क्योंकि वो उस पेड़ को अच्छा नही लगता था।

तो इससे क्या हुआ कि वो पत्ता दुखी हुआ और जल्दी-जल्दी मुरझाकर सुखने लगा।

और एक दिन वक्त से पहले ही वो पत्ता टूटकर गिर गया ।भले ही वो 

पत्ता अजीब था,लेकिन था तो वो भी पत्ता ही ।बाकि पत्तो ने उसकी 

यह हालत देखकर ,बहुत दुखी हुए। और पेड़ से इसका गुस्स 

निकालने के लिए,भोजन बनाना छोड़ दिया ।इससे क्या हुआ कि 

जिस पेड़ कि वजह से वो यमुना का तट अच्छा लगता था ।

अब वही किसी काम का नही रहा ।वो धिड़े-धिड़े करके सुख गया ।

क्योंकि पत्ते वक्त से पूर्व ही झड़ गय ।तो भोजन कौन बनाता। 

इसलिए वो पेड़ आज एक लकड़हारे द्वारा काट के घर।ले जाया 

गया और जला दिया गया ।

सारांश : 


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