रण

 


रण है अगर आखिरी उम्मीद ,तो रण ही ठीक है,

अन्याय बहुत सही-ली,अब रण ही ठीक है,

हाथो में तलवारे होंगी और तलवार पर रक्त,

रक्त की प्यास है-तो रक्त ही ठीक है।

अगर अहिंसा कमजोरी है,तो हिंसा  ही 

ठीक है। रण है अगर आखिरी उपाय तो 

रण ही ठीक है,

अगर हमारी मेहमान-नवाजी है कमजोरी,

तो रण ही ठीक है,

 लहरों से टकराने के लिए हमारी -नाव भी तैयार है,

अगर युध्द है-आखिरी औचित्य,तो युध्द ही ठीक है।


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रण की चाह हमारी भी नहीं,

मगर रण की है चाह तो रण ही 

सही!

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अहिंसा के पुजारी है,
मगर ललकारोगो,
तो जरूर पछताओगे।...😎😎

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