परोपकार
वो रक्त,वो बाजू,वो नयन,वो इंसान किस काम का,
जिस में माया ना हो वो दिल किस काम का!...
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वो दिल , उसकी धड़कन किस काम की,
जो भलाई के काम ना आय,वो मसीहा किस
काम का!....
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राजनिती बहुत देखा है,मगर इंसाफ कम,
लोग बहुत देखे है,मगर इंसान कम!.....
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परोपकार:
दान -दया, ये वो धर्म है,
जिनको निभाकर ही
होती आत्मा तड़ है,
परोपकार सबसे बड़ा धर्म है,
ना-जाति,ना-पाति,ना कोई
और धर्म, सबसे बड़ा है ,
तो मनुष्य के पुण्य कर्म।
परोपकार से बढ़कर ना कोई
और शांति-शील है,ना कोई जाति,
ना कोई धर्म है , जिसमे परोपकार है
वही मनुष्य अमर है।
दान -दया, ये वो धर्म है,
जिनको निभाकर ही
होती आत्मा तड़ है!....
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वो दिल ,उसकी धड़कन ,
वो देह, उसकी तपिश किस काम-की,
जो मदद ना करे-इंसान की!....
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बोलो वो दिल,वो हाथ,वो नयन
किस काम के,अगर ना दिखा
सकते इंसानियत, तो इंसान
किस काम के!.....
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मदद करने वालो के घर में कमी नही होती , जो परोपकार में लगो होते है- उनकी कभी हानि नहीं होती!..... |
परोपकार ही धर्म है, बाकी सब बेकार है!... |
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