गाँव
मुस्कान जहाॅ से कभी जाती नही, वो गाँव है -जनाब। शहर नही ।.. |
मुझे मेरे गाँव घर जाने दो,
उस तले जहाँ छाँव हो,राही को आराम हो,
होंठों पर मुस्कान हो,
राहों में धूल गुलाल हो,
हवा में मिट्टी का सुगंध हो,
मुझे जन्नत मेरे गाँव जाने दो,
जहाँ हर दिल में भगवान हो,
जहाँ कलियो की बरसात हो,
जहाँ सूरज छूपता हो,
जहाँ आसमान के सारे तारे दिखते हैं,
मुझे मेरे सूकून के तले, मेरे गाँव जाने दो,
मुझे मेरे गाँव घर जाने दो,मुझे मेरे गाँव जाने दो।
सुकून का पल चलो फिर जीते है, चलो आओ हम आपने गाँव जाते है।...🏡 |
पर सूकून गाँव जैसा नही मिला।
एक पल भी।...🥰
शहर की हवा उतनी भी महंग नही, कि गााँव जैसा सूकून खरीद पाय।...🥰 |
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