मुझे टूटना पसंद है
मुझे टूटना पसंद है,
क्योंकि वह इकलौती ऐसी जगह है,
जहां जाने के बाद में खुद को सही से जान पाता हूं,
खुद पर काम कर पाता हूं,
सही से दोबारा जोड़ पाता हूं,
मुझे टूटना पसंद है,
क्योंकि मैं जानता हूं कि वो ऐसी जगह है,
जो मुझे दोबारा और मजबूत बनाएगी,
क्योंकि:-
इस बार मैं खुद की देखरेख में बोनूंगा,
इसलिए मुझे टूटना पसंद है,
क्योंकि:-
इसके बाद एक नई शुरुआत होती है!
जो अपने देख-रेख में होती है!...
अंबर
अंबर प्यासा है-आज,
कौन बरसे,
बंजर जमीं हैं फूल-कहां उगो?
विषमय अंधेरों में फंसे हैं,
सूरज सो गया है,
चांद छुप गया है,
कौन ज्योति बने?
अंबर प्यासा है -आज
_कौन बरसे?...
किस्मत
हाथ की लकीरों में उलझे बैठे थे ,
हम बिस्तर में सिमटे बैठे बैठे थे,
किस्मत से हारी हुई जंग लड़ रहे थे,।
हाथ की लकीरों में हम उलझे बैठे थे!
अबला-हो!👈hindi_motivational_poetry_for_women
क्या निशा क्या दिनकर है,
जो कर्मठ है-उसको कहां फुर्सत है!... ❣️❣️❣️
💪मांझी💪
अधूरे इंसान ही-शुरुआत के लिए साथ ढूंढते हैं,
मगर साथ और बाजी केवल मांझी जैसे लोग ही पाते हैं,
क्योंकि वह ना-ही साथ का,
नहीं समय का वेट करते हैं,
जो मिले हाथों में ले-निकल पड़ते हैं ,
ना हाथों में ब्रह्मास्त्र ना-ही मार्डन का
अभिमान था,
ना ही गांडीव-धारी था वह-नहीं था वह बलशाली,
बस जुर्रत की दिल ने,
निकल पड़े घर से वह पूरे इंसान,
पर्वत की सीना को चिड़ने हाथ में लेकर,
सिर्फ छैनी और हथोड़ा,
लोगों का हंस-हंसकर था बुरा हाल,
व्यंग्य का खड़ा हुआ पहाड़,
मांझी पर चले जुबानी तलवार,
पर जो हार जाए,
लोगों के डर से डर जाए,
वह इतिहास में कहा जगह पाते हैं,
वह मांझी जैसे लोग ही होते हैं, औ
जो पहाड़ का छोटा देखते थे - देखते हैं,
अपने हौसले को बहमास्त्र और प्यार को समर्पित, एक
मानते थे-मानते हैं,
और मांझी जैसे लोगों का ही दुनिया में सम्मान होता था- सम्मान होता है!
इतिहास अक्सर पूर्ण इंसान का ही होता था-होता है :-
और होता रहेगा!
अधूरे इंसान ही शुरुआत के लिए साथ ढूंढते हैं,
मगर साथ और बाजी केवल मांझी जैसे लोग ही पाते हैं।...
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